चार भाइयों ने 50000 उधार लेकर दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी Hero Honda की स्टार्ट

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    साइकिल का महत्व हम सभी के जीवन में रहा है साइकिल हम सभी के जीवन के बचपन की सुनहरी याद है जिसे हम कभी भी भूलना नहीं चाहते हैं हर बच्चा अपने बचपन में अपनी साइकिल पाने के लिए अपने मां-बाप से जीद जरूर करता है और साइकिल मिल जाने पर उसे खूब चलता दौड़ता है आज की कहानी इसी साइकिल (Hero Honda) निर्माता कंपनी हीरो की है इस कंपनी की शुरुआत मुंजाल भाइयों ने 50000 उधार लेकर शुरू की और आज दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी Hero Honda बन चुके हैं

    कैसे शुरू हुआ इस कंपनी (Hero Honda) का सफर?

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    यह कहानी की शुरुआत होती है पाकिस्तान के कमलिया से जहां के ठाकुर देवी और बहादुर चंद मुजांल के घर पैदा हुए चार बच्चों सत्य प्रकाश मुजांल, बृजमोहन मुजांल ,ओमप्रकाश मुजांल और दयानंद मुजाल की कहानी है इन्हीं भाइयों ने मिलकर आगे चलकर साइकिल की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Hero साइकिल की कंपनी की नींव रखी और आज यह कंपनी विश्व भर में प्रचलित है चारों भाइयों के पिता पाकिस्तान में रहकर एक अनाज की दुकान चला कर घर का लालन पोषण करते थे लेकिन देश के बंटवारे की समय सब तीतर बीतर हो गया हिंदू और सिखों को भारत आना पड़ा जिसमें यह चारों भाई ने भी शामिल थे

    50000 लोन लेकर शुरू की कंपनी (Hero Honda)

    मूजांल भाईयों बटवारे के बाद पंजाब के लुधियाना में आकर बस गए लेकिन यहां आकर बसने के बाद उनकी सबसे बड़ी समस्या थी बेरोजगारी इसीलिए रोजगार के लिए उन्होंने गली-गली जाकर साइकिल के पुर्जे बेचने लगे और अपना जीवन चलने लगे धीरे-धीरे काम अच्छे से चलने लगा इन्होंने थोक के भाव में साइकिल पार्ट्स बेचने की बजाय खुद पार्ट्स बनाने का निर्णय लिया जिस कारण उन्होंने 1956 में ₹50000 उधार लेकर लुधियाना में पार्ट्स बनाने के लिए एक यूनिट स्थापित की इस कंपनियों का इस कंपनी का नाम मुजांल भाइयों ने हीरो साइकिल रखा और काम शुरू हो गया थोड़ी ही समय बाद उन्होंने सोचा कि क्यों ना पार्ट्स बनाने की वजाय साइकिल ही निर्माण की जाए अतः उन्होंने निर्णय लिया कि प्रतिदिन 10 साइकिल के लिए बनाए जाएंगे जिसका फायदा यह हुआ की 10 साल में ही उन्हें कामयाबी मिलने लगी और 1966 में वह वर्ष साल एक लाख साइकिलों का निर्माण करने लगे

    यहां तक की 1980 तक तो यह एक दिन में 19000 साइकिल का निर्माण करने लगे यह सब मुमकिन हो पाया मुंजाल भाइयों की सोच से

    क्या था मुंजांल भाइयों इतना सफलता पाने का राज?

    मुंजाल भाइयों की अपने काम के प्रति लगनता ही उनके सफलता पाने का रास्ता बना वह निरंतर अपने काम में बढ़ोतरी करते गए कुशलता बढ़ते गए उनके काम के प्रति लगन का एक किस्सा बहुत ही ज्यादा फेमस है एक बार हीरो ( Hero Honda) के वर्कर्स ने कंपनी में हड़ताल कर दी और कंपनी में साइकिल बननी बंद हो गई यह देखते हुए मुंजाल भाई लोग खुद ही साइकिल का निर्माण करने लगे यह देखते हुए कंपनी के मैनेजर ने उनसे बोला कि आप यह क्यों कर रहे हैं तो इस पर मुंजाल भाई बोलते हैं एक वक्त तक डीलर समझ जाएंगे की कंपनी में हड़ताल चल रही है लेकिन हम उसे बच्चों के मन को कैसे समझाएंगे जिसने अपने पिता से अपने जन्मदिन पर साइकिल की मांग करी होगी हम किसी भी बच्चे का दिल नहीं तोड़ना चाहते इस वाक्य से ही पता चलता है कि मुंजाल भाइयों का अपने काम के प्रति किस प्रकार का लगन था

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    हीरो (Hero Honda) ने करी नई सफर की शुरुआत..

    साइकिल में सफलता पाने के बाद हीरो कंपनी यही नहीं रुकी उसने टू व्हीलर बनाने की सोची इसीलिए उन्होंने जापान की फेमस Honda कंपनी के साथ मिलकर Hero Honda motor limited की स्थापना 1985 में कर पहले बाइक CD100 को लॉन्च किया हालांकि अब सभी चारों मुंजाल भाइयों की मृत्यु हो चुकी है

    परन्तु Hero और Honda हुए अलग

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    Hero और Honda, दोनों कंपनियों समझौते के तहत 1984 में साथ आईं और hero honda नाम से संयुक्त कंपनी बनाई. दोनों के बीच साझेदारी 2010 तक चली और फिर दोनों कंपनियां अलग होकर अपने-अपने रास्ते चल दीं.
    माना जाता है कि Hero Honda ने मुख्य रूप से रणनीतिक कारणों से भारत में अपनी साझेदारी समाप्त की थी. Honda ने अपनी पूरी हिस्सेदारी Hero को बेच दी और Hero-Honda कंपनी से अलग हो गई. अभी के समय में दोनों कंपनियां अलग-अलग ऑपरेट कर रही हैं

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